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Explain the budget making process of the Government of India. Also explain the difference between plan expenditure and non-plan expenditure.

Q4. Explain the budget making process of the Government of India. Also explain the difference between plan expenditure and non-plan expenditure.

Q4. भारत सरकार के बजट बनाने की प्रक्रिया समझाइये । योजना व्यय एवं गैर योजना व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।

भूमिका

भारत जैसे देश में बजट बनाना एक लंबी और महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है और भारत में इसमें काफी समय लगता है। भारत में बजट बनाने की प्रक्रिया में कई अलग-अलग चरण होते हैं।

मुख्य भाग

भारत मे बजट निर्माण करने की प्रक्रिया निम्न प्रकार है–

1.अनुमानों का विवरण:भारत में, वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च को समाप्त होता है। हर विभाग अप्रैल की शुरुआत में अपनी आय-खर्च रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर देता है। ऐसा करने के लिए, वे एक दूसरे विभाग को एक फॉर्म भेजते हैं, जिसमें यह जानकारी मांगी जाती है कि उन्होंने पिछले वर्ष में क्या पैसा खर्च किया था।

2.अनुमानों का विभागीय परीक्षण:सरकार अलग-अलग हिस्सों द्वारा तैयार किए गए बजट अनुमानों को यह सुनिश्चित करने के लिए देखा जाता है कि वे सटीक हैं की नहीं। यह विभाग के मुख्यालय के नियंत्रक (Controller) अधिकारी द्वारा किया जाता है, जो आवश्यकता पड़ने पर कोई परिवर्तन या संशोधन करता है। इसके बाद विभाग का बड़ा अधिकारी संशोधित अनुमान वित्त मंत्रालय को भेजता है।

3.वित्त मंत्रालय द्वारा परीक्षण:वित्त मंत्रालय देखता है कि प्रत्येक विभाग कितना पैसा खर्च कर रहा है, और तय करता है कि प्रत्येक विभाग को कितना पैसा देना चाहिए। अगर विभाग और पैसा खर्च करना चाहता है तो वित्त मंत्रालय अपनी खर्च सीमा को कम कर सकता है। लेकिन वित्त मंत्रालय विभाग से बात करने और उससे संबंधित अन्य विभागों से बात करने के बाद ही यह निर्णय लेता है। अगर कैबिनेट वित्त मंत्रालय के फैसले को मंजूरी दे देती है तो बजट पूरा हो जाता है। इसके बाद मंत्रीमंडल के पास स्वीकृत होने जाता है

4.मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकार करना:वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री अन्य कैबिनेट सदस्यों के साथ मिलकर बजट की जांच करते हैं ताकि यह तय किया जा सके कि कौन सी नीतियां (Policy) वित्त और राजस्व से संबंधित है। इस प्रक्रिया को “बजट प्रस्तुत करना” कहा जाता है। बजट को पूरे कैबिनेट सदस्यों के साथ मिलकर बनाया जाता है, फिर इसे संसद में पेश किया जाता है।

5.संसदीय प्रक्रिया:भारत के संविधान में कहा गया है कि सरकार पहले संसद से अनुमोदन (Approval) प्राप्त किए बिना पैसा खर्च नहीं कर सकती है। और इसे फरवरी की शुरुआत में संसद में प्रस्तुत किया जाता है। संसद के पास बजट पर विचार करने के लिए कुछ हफ्ते का ही समय होता है, और फिर वह उसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजती देती है। एक बार जब राष्ट्रपति बजट को मंजूरी दे देते हैं, तो यह प्रभावी हो जाता है।

योजना व्यय एवं गैर योजना व्यय में अन्तर-

  •         योजनागत पूँजीगत व्यय का संबंध राजस्व – व्यय के समान, केंद्रीय योजना और राज्य तथा संघ – शासित प्रदेशों की योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता से होता है। गैर – योजनागत पूँजीगत व्यय में सरकार द्वारा प्रदत्त विविध सामान्य, सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर व्यय शामिल होते हैं।
  •         योजनागत पूँजीगत व्यय का संबंध राजस्व – व्यय के समान, केंद्रीय योजना और राज्य तथा संघ – शासित प्रदेशों की योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता से होता है। गैर – योजनागत पूँजीगत व्यय में सरकार द्वारा प्रदत्त विविध सामान्य, सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर व्यय शामिल होते हैं।

निष्कर्ष

देश का बजट तैयार करने में कई स्रोतों से आने वाले पैसे और तरह-तरह के मदों में होने वाले खर्च की विस्तृत योजना पेश की जाती है। देश का बजट बनाने के लिए, सरकार का पूरा वित्त विभाग होता है और कई महीनों के मेहनत के बाद वो बजट तैयार करता है। इतनी व्यापक तैयारी इसलिए करनी पड़ती है क्योंकि सरकार के पास कमाई के कई स्रोत होते हैं खर्च के लिए भी सैकड़ों रास्ते होते हैं।

 

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